Estd. 1944
गया महाविद्यालय सुन्दर,
आत्म-दीप की शिखा समुज्ज्वल ।
ब्रह्म-योनि की पार्श्व-भूमि में,
नित नवीन यह ज्ञान-कमल-दल ।।१।। गया...
विष्णु-पुरातन-नगरी में यह,
अमर-बेलि ज्योतिधुर्वतारा।
अन्तःसलिला से अनुप्राणित,
ज्ञान-भक्ति-सत्कर्म-सुधारा ।।२।। गया...
असुर-निकन्दन प्रेम-प्रबोधन,
यह विद्या-मन्दिर अविनश्वर।
बुद्ध-विवेकानन्द-महाप्रभु,
शंकर-पद-अवतारित सरवर ।।३।। गया...
विज्ञान-कला-वाणिज्य सुसंगम,
व्याष्टि-समष्टि-समन्वित दीक्षा।
भौतिकता-अध्यात्म-एकता,
सत्य-स्नेह सप्लावित शिक्षा ।।४।। गया...